Friday, June 8, 2012

शिकायत

शिकायत

मुझे ना किसीसे गिला है शिकायत
ग़मे-जिदगीसे हुई है मुहब्बत

ढके चेहरेकी न कोई शनाख़त
बिना हिज़्ब जीना नही है इज़ाजत

फिरे दर-बदर खोज़मे प्यारकी हम
नज़रमे नही थी किसीके इनायत

करो याद, आग़ोशमे चल पडुंगी
तुम्हे अब किसीकी नही है जरूरत

सिये होठ, सच्ची अगर बात निकले
तुम्हारे लिए ना खडी हो मुसीबत

चमनमे जिन्होंने कई फूल सूंगे
लगे आज देने वफ़ाकी नसीहत

शमाकी तरह प्यारमे मै जलुंगी
यही तो रही गै हमारी विरासत

कडीसे कडी दो सज़ा प्यारमे तुम
हमे दे न देना जराभी रियायत

खयालात "निशिकांत'के है पुराने
बना प्यार उसके लिए इक इबादत


वापरलेल्या उर्दू शब्दांचे अर्थ जाणून घेण्यासाठी क्लिक कराhttp://www.facebook.com/pages/%E0%A4%A8%E0%A4%BF%E0%A4%B6%E0%A4%BF-%E0%A4%A6%E0%A5%87-%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A5%8D%E0%A4%AF-/237571402994008


निशिकांत देशपांडे मो.क्र. ९८९०७ ९९०२३
E Mail--- nishides1944@yahoo.com

No comments:

Post a Comment